सहरसा टाईम्स - Saharsa Times

एक साथ सात घरों में लाखों की चोरी…




पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल…
आखिर चोरों पर नकेल कसने में क्यों विफल हो रही है पुलिस….
कहीं चोरों से पुलिस की सांठ-गांठ तो नहीं….
आमलोगों की आंखों की उड़ी  नींद….
अगर चोरी से बचना है तो,रतजगा करें गृहस्वामी….
सहरसा टाईम्स स्पेशल—
मुकेश कुमार सिंह का विश्लेषण—-
सहरसा : बीती रात सहरसा के नवहट्टा थाना के खड़का तेलवा  गाँव में भीषण चोरी की वारदात हुई,जिसमें चोरों ने एक साथ सात घरों में हाथ साफ किया ।चोरी की यह वारदात ठाकुर परिवारों के यहां हुई ।उमेश सिंह,भूषण सिंह,नरेंद्र सिंह,अमरेंद्र सिंह,हरि नंदन सिंह,गणेश सिंह और मनोज सिंह के घर एक साथ हुई चोरी की इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी और भय का माहौल व्याप्त है ।इस चोरी की घटना में लाखों के जेवरात,नकदी और कीमती सामान पर चोरों ने हाथ साफ किये हैं ।
अभीतक की जानकारी के मुताबिक 20 लाख से अधिक की यह चोरी हुई है ।हद की इंतहा तो यह है कि सात में से महज मनोज सिंह और गणेश सिंह के परिवार के लोग घर में मौजूद नहीं थे,जबकि पांच परिवार की मौजूदगी में यह चोरी हुई है ।पीड़ित उमेश सिंह और अमरेंद्र सिंह ने बताया कि वे लोग बीती रात सोये हुए थे और चोरों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया और उन्हें भनक तक नहीं लगी ।सुबह जब नींद खुली तो,उनकी दुनिया लुट और उजड़ चुकी थी ।
इनदोनों के अलावे कुछ अन्य ग्रामीणों ने बताया कि दिन में 20 से अधिक संख्यां में दूसरे समुदाय के पहलवान किश्म के लोग घण्टों गाँव में खेल-तमाशा दिखाने आये थे ।उन्हें शक है कि इस घटना को उन्हीं लोगों ने अंजाम दिया है ।वैसे यह मामला अब पुलिस के अनुसंधान का है ।इस घटना के बाबत जब हमने नवहट्टा थानाध्यक्ष दरवेश कुमार से बात करने की कोशिश की तो पता चला कि वे अवकाश पर हैं ।प्रभारी थानाध्यक्ष झोंटी राम ने बताया कि पुलिस घटनास्थल का मुआयना कर चुकी है और अनुसंधान जारी है ।अज्ञात चोरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर आगे की कारवाई की जाएगी ।
क्या होगी पुलसिया कारवाई ?
जिले में दर्ज चोरी के सैंकड़ों मामले फाईलों में दर्ज होकर,बिना किसी परिणाम के दम तोड़ रहे हैं ।जहां डीआईजी और एसपी बैठते हैं,वहां चोरी की वारदात ना तो रुक रही है और ना ही चोर पकड़े जा रहे हैं ।ऐसे में इस मामले में पुलिस कोई बेहतर नतीजा दे पाएगी,यह उम्मीद पालना सरासर बेईमानी है ।
आखिर क्या कर रही है पुलिस ?
थानेदार बस किसी कांड का एफआईआर दर्ज कर रहे हैं ।थाने में विभिन्य तरह के केस दर्ज करने में वसूली हो रही है ।मनमाफिक दफा लगवाने के अलग रेट हैं । काउंटर केस का कुछ और रेट हैं ।केस डायरी बढ़िया और खराब के लिए अलग रेट हैं ।रही बड़े अधिकारी की बात करें,तो,वहां दफा हटाने,आरोपियों के नाम हटाने और केस को ट्रू और फॉल्स करने का अलग और मोटे रेट हैं ।अब पुलिस वाले ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाने की जगह वसूली मशीन बन चुकी है ।यह बदलते बिहार की तस्वीर है ।हमें यह कहने में कतई गुरेज नहीं है कि खासकर सहरसा पुलिस पर अपराधी ना केवल भारी हैं बल्कि उनका मजाक उड़ाते हुए अपराध दर अपराध को अंजाम भी दे रहे हैं ।जय हो सहरसा पुलिस की ।जय हो सुशासन की ।
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