
अमित कुमार अमर / छाया – संदीप सुमन —- सहरसा सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में अपने प्रथम बच्चे को जन्म देने आई लक्ष्मीनिया गांव की राजलक्ष्मी देवी को पुरा भरोसा था कि अब उसके माथे पर लगा वर्षो पुराना बाँझ का कलंक धूल जायेगा। लेकिन सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में तैनात नर्स व् आया ने राजलक्ष्मी से उसके सोने जैसे रत्न को छीन, उसे फिर से अपने सगे -संबंधियों द्वारा बाँझ व् नी:संतान का ताना सुनने को विवश कर दिया।
इस बीच अधूरे प्रसव कार्य होने के कारण मेरा नवजात पुत्र की मौत हो गयी। मौत के बाद परिजन अस्पताल में हंगामा कर दोषी नर्स व् आया पर कार्रवाई की मांग करने लगे। हंगामें की सुचना मिलते हीं सी.एस. डा० अशोक कुमार सिंह परिजन व् पीड़ित महिला से मिलने अस्पताल पहुंच घटना की जानकारी लिया। उन्होंने पीड़ित परिवार को जांच कर दोषी पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया। घटना के सम्बन्ध में पीड़िता के पति सुनील यादव ने अस्पताल उपाधिक्षक के नाम लिखित शिकायत कर एक आवेदन सी एस को सौंपा। वही दूसरी तरफ अपने शिशु की मौत पर चीत्कार मार् कर रो रही राजलक्ष्मी की आवाज से पूरा अस्पताल गमगीन हो गया। मासूम नवजात को देखने के लिए महिलाओं की भीड़ इकट्ठा हो गई। पीड़िता अपने पति से लिपट कर रो-रो कर कह रही थी आपकी भाभी सब फिर मुझे बाँझ कहे गी।