
SAHARSA TIMES NEWS (जागरण में छपी खबर Wed, 16 Aug 2017 01:54 PM (IST)नई दिल्ली।) हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला के आत्महत्या मामले में जांच आयोग की एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें खुलासा किया गया है कि रोहित ने कॉलेज प्रशासन से तंग आकर अपनी जान नहीं दी थी, बल्कि निजी कारणों से परेशान होकर उसने आत्महत्या की थी।
निजी कारणों से था परेशान
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित व्यक्तिगत तौर पर परेशान था और कई वजहों से खुश नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार, रोहित ने अपने सुसाइड नोट में किसी को भी अपनी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है। सुसाइड नोट से साफ है कि उसकी अपनी खुद की कई समस्याएं थीं और वह अपनी जिंदगी से नाखुश था। सुसाइड नोट में कथित तौर पर रोहित ने यह भी लिखा है कि वह बचपन में अकेला रहता था और उसको सब नाकाबिल समझते थे।
भाजपा नेताओं का कोई हाथ नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि तात्कालिक मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा नेता बंडारू दत्तात्रेय का रोहित की मौत से कोई लेना-देना नहीं था। रोहित की आत्महत्या के बाद भाजपा नेताओं का नाम सामने आया था। कहा गया था कि भाजपा नेताओं के दबाव में आकर ही कॉलेज प्रशासन ने रोहित के खिलाफ कार्रवाई की थी, मगर रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर रोहित कॉलेज की कार्रवाई से दुखी होता तो सुसाइड नोट में इस बात का जरूर जिक्र करता।
नहीं था दलित
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रोहित दलित नहीं था। हालांकि रोहित की आत्महत्या के बाद प्रदर्शन कर रहे संगठनों की तरफ से उसको लगातार दलित बताया जाता रहा था। मगर रिपोर्ट के अनुसार, वह अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से था। उसके पिता वी. मणिकुमार बडेरा समुदाय से थे। हालांकि मां ने तर्क दिया कि वह माला समुदाय से है जो अनुसूचित जाति के तहत आता है। पति से तलाक के बाद वह वेमुला को लेकर अलग रहने लगी, मगर वह अपनी जाति के पक्ष में तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाई।
आपको बता दें कि रोहित ने 17 जनवरी, 2016 को हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। इससे पहले उसपर एबीवीपी के एक छात्र नेता को पीटने का आरोप लगा था। जिसके बाद नवंबर, 2015 में रोहित समेत पांच छात्रों को निष्कासित कर दिया गया था।http://www.jagran.com/news/national-rohith-vemula-did-not-kill-self-over-university-action-says-inquiry-commission-16549807.html?src=p1