
- इंटर छात्र-छात्राओं की आत्महत्या का नहीं रुक रहा है सिलसिला…
- बिहार बोर्ड की लापरवाही से जा रही है कीमती जानें….
- बोर्ड और सरकार पर दायर होनी चाहिए जनहित याचिका…
पुलिस ने मौके पर पहुँचकर पहले तो शव को पंखे से नीचे उतारकर उसे कब्जे में ले लिया और फिर शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया ।राघव के घर में मातम पसरा हुआ है । मृतक के पिता त्रिलोक नाथ ने बताया की राघव उनका इकलौता बेटा था और उससे पूरे परिवार की बड़ी उम्मीदें टिकी थी ।
राघव पढ़ने में काफी कुशाग्र था लेकिन बोर्ड की अनियमितता की वजह से इनके घर का चिराग बुझ गया । सदर थाना के प्रभारी एस.एच.ओ.पवन पासवान ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि राघव ने परीक्षा में फेल होने की वजह से इस घटना को अंजाम दिया है । वैसे पुलसिया कारवाई की जा रही है ।बिहार बोर्ड की लापरवाही और धांधली की वजह से छात्र-छात्राओं का यूँ जान गंवाना शिक्षा विभाग, बिहार बोर्ड और राज्य सरकार को सीधे तौर पर कटघरे में खड़े कर रहा है । आखिर सरकार लोगों के घर के चिराग को कैसे वापिस करेगी ।
शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर द्वारा वैसे छात्र-छात्राओं,जिन्होंने आपत्ति जताई है कि कांपियों का पुनः जांच करवाकर, थोड़ी बहुत तसल्ली दे देंगे लेकिन जिन्होंने अपनी जान गंवा दी है, उनके लिए वे सभी मिलकर क्या करेंगे ? छात्र-छात्राओं के अभिभावक या फिर छात्र-छात्राओं को खुद से माननीय उच्च न्यायालय में बिहार बोर्ड और सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दायर करनी चाहिए । माननीय न्यायालय के हस्तक्षेप और कठोर फैसले से ही बच्चों का भविष्य और उनकी जान बेजा जाने से बच सकती है ।