
सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट —— बिहार में हुए उपचुनाव के बाद इसके नतीजे ने जहाँ एन डी ए खेमे में खलबली मचा दिया है वहीं महागठबंधन को जीत से नई ऊर्जा मिली है। चुनाव नतीजे सूबे में आगामी चुनाव को प्रभावित कर सकते है। साथ ही सूबे में नई राजनीति समीकरण बनने की संभावना को भी बल मिलेगा।
यहाँ तेजस्वी यादव की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अपनी पहली परीक्षा उप चुनाव में पास कर लिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने राजद ही नहीं बल्कि बिहार के महागठबंधन का नेतृत्व अच्छे से किया। राजद के अंदर अब टीम लीडर के तौर पर उन पर मुहर लग सकती है। वहीं लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी के लिए अब आवाज और भी बुलंद होगी।
वहीं माई समीकरण की बात करें तो वह अब भी बिहार में अटूट लगता है या फिर यह कहे कि समीकरण लालू यादव के जेल जाने से और मजबूत हुआ है।
राजनीतिक पंडितों की माने तो तेजस्वी यादव कुछ हद तक इस उप चनाव में भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल रहे। हालाकिं यह भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है। फिर भी इसे ठीक करने के लिए उसके पास पर्याप्त समय है। क्योंकि लोकसभा चनाव में अभी एक वर्ष का समय बाकी है। फिलहाल यह समय जदयू, भाजपा के लिए आत्म मंथन और चिंतन करने का है।