सहरसा टाईम्स - Saharsa Times

चोर है कि मानता नहीं पुलिस है कि पहचानती नहीं

संदीप सुमन की रिपोर्ट —–   चोर के आगे कुहासा क्या, बेईमान के आगे केबाला क्या सहरसा। अक्सर ठंड और कुहासे के दिनों में चोरी की घटना ज्यादा होती है। तर्क यह दिया जाता है की ऐसे दिनों में चोरों को घटना को अंजाम देने में आसानी होती है। लेकिन यह बातें अब कोरा झूट साबित हो रही है। मसलन चोर के आगे कुहासा क्या, बेईमान के आगे केबला क्या। खुले मौसम में भी चोर आसानी से चोरी की घटना को अंजाम दे रहे है। पुलिस पर आँख बंद ,डब्बा गायब वाली कहावत इन दिनों चरितार्थ हो रही है। शहर के चोर पुलिस गस्ती को धत्ता बता कर लगातार चोरी की घटना को अंजाम दे रहे है।वहीं पुलिस घटना के बाद शिकायत दर्ज कर अपना कोरम पूरा कर देती है। सदर थाना क्षेत्र में पिछले दो माह के अंदर हुई चोरी की घटनाओं पर गौर करें तक यह आंकड़ा लगभग एक दर्जन से ज्यादा है।

उल्लेखनीय है कि चोरों ने अधिकांश चोरी की घटना रिहायसी इलाकों में अंजाम देकर सदर पुलिस को खुली चुनोती दे रखी है। मालूम हो कि एक सप्ताह पूर्व चोरों ने चांदनी चौक स्थित राजेन्द्र ठाकुर के किराना दुकान में चोरी कर हजारों की संपत्ति पर हाथ साफ किया। उसके बाद चोरों ने डी बी रोड स्थित एक और किराना दुकान का स्टर तोड़ हजारों की सम्पति
को चुना लगाया। बीते मंगलवार को चोर गंगजला चौक स्थित एक किताब की दुकान का स्टर तोड़ हजारों रुपये ले कर चंपत हो गया। लगातार चोरी की घटना होने के बाद भी चोरों को पकड़ना तो दूर पुलिस चोरों के आस-पास भी नहीं पहुँच पायी है। अब यहां सवाल उठना लाजमी है कि पुलिस कर क्या रही है। रात्रि गस्ती के नाम पर क्या वह लोगों की आंखों में धूल झोंक रही है। या फिर सड़क किनारे गाड़ी को लगा आराम फरमाती है।लोगों ने पुलिस पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि चोरी की घटना का उद्द्भेदन करने में पुलिस नाकाम रहती है,ऐसे में सदर पुलिस से बड़े कांडों के उद्द्भेदन की उम्मीद करना जायज नहीं है।

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