
- मनीषा उर्फ मिली ए.एच.आर.एफ की कोषाघ्यक्ष नहीं बल्कि निदेशक है….
- बहुत से ऐसे हैं राज जिसे ‘मिली’ से नहीं उगलवा पा रही पटना पुलिस….
इसी बायोडाटा में मनीषा ने अपने को ‘अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन’ का निदेशक भी बताया है। आत्मा शासी परिषद (गर्वनिंग बॉडी) नीति निर्धारण, सलाह देने वाली तथा आत्मा की प्रगति एवं कार्यें की समीक्षा करने वाली निकाय होती है। इस निकाय के 16 सदस्यों में से एक सदस्य महिला हित समूह से ली जाती हैं तथा एक अन्य सदस्य किसी स्वंय सेवी संस्था से चूने जाते हैं जिनके चयन का अधिकार अध्यक्ष (जिलाधिकारी) को होता है।
- अब सवाल यह है कि मनीषा को गर्वनिंग बॉडी में किस जिलाधिकारी ने सदस्य बनाया!
- अगर मनीषा वास्तव में आत्मा की बोर्ड मेंबर है तो यह एक अहम सवाल है।
इस मामले को लेकर भी पेंच है। आत्मा, पटना के परियोजना पदाधिकारी ने हमारे सवाल पर किसी मनीषा दयाल के बोर्ड मेंबर होने से इनकार किया जबकि मनीषा के बायोडाटा में उसने बोर्ड मेंबर होने का दावा किया है। यहां एक दूसरा सवाल यह भी है कि मनीषा ‘अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन’ नामक एनजीओ की निदेशक है या कोषध्यक्ष! मनीषा ने खुद को इस एनजीओ का निदेशक घोषित कर रखा है.
जबकि आसरा होम में घटी घटना के बाद गिरफ्तार की गई मनीषा दयाल को इस एनजीओ का कोषाध्यक्ष व गिरफ्तार चिरंतन को सचिव बताया गया। तो क्या मनीषा पुलिस को भी गुमराह कर रही है! ऐसे कई सवाल हैं जो अभी अनुत्तरित है। मनीषा और चिरंतन को दो दिनों के पुलिस रिमांड पर लेने के बावजूद भी पुलिस उससे कुछ खास नहीं उगलवा पाई है।