
निशा ठाकुर की रिपोर्ट —— इंटरमीडिएट की परीक्षा में तकरीबन रोज पकड़ में आ रहे मुन्ना भाई ने प्रशासन की सख्ती की पोल खोलकर रख दी है। जिला प्रशासन के सीसीटीवी द्वारा निगरानी और 200 मीटर के अंदर किसी को प्रवेश नहीं करने के आदेश के बावजूद रोज-रोज परीक्षा से कुछ देर पूर्व प्रश्न-पत्र का आउट हो जाना और मुन्ना भाई की गिरफ्तारी ने इंटर की परीक्षा को मजाक बनाकर रख दिया है। परीक्षा केंद्र में घुसने से पूर्व अधिकतर विद्यार्थियों और उसके अभिभावकों को चिट पुर्जा बनाते हुए देखा जाता है। वही मुन्ना भाइयों की गिरफ्तारी से यह प्रश्न भी फ़िज़ा में तैरने लगा है कि क्या कोई रैकेट इस परीक्षा में काम कर रहा है। विद्यार्थियों के एडमिट कार्ड और चेहरे को क्या सही से मिलान किया जाता है ?

यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि बीते शनिवार को पकड़ में आए मुन्ना भाई ने बताया था कि अगर केंद्राधीक्षक को सूचना नहीं दी जाती तो वह बेदाग परीक्षा देकर निकल गया होता। मालूम हो कि कुछ वर्ष पूर्व मेडिकल इंजीनियरिंग बैंक इत्यादि की परीक्षाओं में मुन्ना भाइयों के द्वारा परीक्षा दिलवाने का चलन था। जिसमें लाखों का लेन देन होता था। जिसे कोडवर्ड में इंजन और डिब्बा कहा जाता था। इंजन यानि किसी और के बदले पैसा लेकर बैठने वाले मुन्ना भाई को इंजन कहा जाता था। इसका मुख्य काम डिब्बा यानी जिसके बदले उसने परीक्षा दी उसे पास करवाना था। इंजन और डब्बा के खेल के मैनेजर लाखों की उगाही डिब्बे के अभिभावकों से करते थे। जिसमें से कुछ राशि इंजन को भी मिल जाया करती थी। लेकिन मेडिकल-इंजीनियरिंग आदि की परीक्षा में सख्ती होने से वह रैकेटियर बड़े शहरों को छोड़कर छोटे शहरों की ओर रुख करने लगे हैं। मेडिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा को छोड़कर छोटे मैट्रिक इंटर की परीक्षा में अपनी करामात दिखा रहे हैं। बीते परीक्षा में सहरसा से 5 मुन्नाभाइयों की गिरफ्तारी तो एक छोटी सी बानगी है। यदि सही ढंग से इंटर के सभी केन्द्रों पर जांच की जाए तो न जाने कितने मुन्नाभाई प्रशासनिक गिरफ्त में आएंगे।