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हैवानों ने अबला को जिंदा जला डाला

हाय! औरत तेरी यही कहानी…
दहेज़ लोभियों ने युवती को ज़िंदा जलाया……..
डॉक्टरों का कहना कुछ घण्टों की मेहमान है अभागी सौम्या…….
पूजा परासर की खास रिपोर्ट—-

आज एक बार रिश्तों की फिर धज्जियां उड़ी और इंसानियत का सीना चाक हुआ ।महज 20 साल की सौम्या को उसके पति सहित ससुराल वालों ने घर में बन्द कर ज़िंदा जला डाला ।100 प्रतिशत जली सौम्या को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहां डॉक्टरों ने ईलाज तो शुरु कर दिया लेकिन बड़े साफ़ लहजे में कह दिया की एक तो सदर अस्पताल में बर्न केश के लिए कोई व्यवस्था नहीं है,दूजा यह युवती किसी भी सूरत में नहीं बच पाएगी ।डॉक्टर ने घंटे भर में उसे डीएमसीएच रेफर कर दिया लेकिन पीड़िता के परिजन उसे लेकर सहरसा के गांधीपथ स्थित निजी नर्सिग होम सूर्या क्लीनिक में भर्ती कराया है ।अभागे और लाचार परिजन बस उसकी मौत का इन्तजार कर रहे हैं ।
घटना के बाबत पीड़िता के बड़े भाई दीपक दास से मिली जानकारी के मुताबिक सौम्या की शादी दो वर्ष पूर्व जिला मुख्यालय के सराही मुहल्ले के रहने वाले बबलू कुमार दास से की गयी थी ।शादी के समय करीब पांच लाख रूपये दहेज़ के तौर पर भी दिए गए थे ।लेकिन शादी के बाद सौम्या के पति बबलू दास सहित उसके परिवार के अन्य सदस्य लगातार पांच लाख रूपये की और मांग कर रहे थे ।बीच–बीच में सौम्या का बड़ा भाई कुछ–कुछ रूपये देता भी था ।दो माह पूर्व सौम्या के ससुराल वालों ने उसकी भरपूर पिटाई की थी जिसमें उसका सर भी फट गया था ।उस समय पंचायत बिठाकर मामले को सुलझा लिया गया था ।लेकिन आज बबलू दास और उसके घर के लोग जल्लाद बन गए थे ।
सौम्या के जिश्म पर केरोसिन डालकर उनलोगों ने आग लगा दी और कमरे को बाहर से बन्द कर दिया ।घटना आज शाम करीब चार बजे की है ।सौम्या का मायका जिला मुख्यालय के गांधीपथ में है ।सराही से किसी ने सौम्या के बड़े भाई दीपक को इस घटना की सूचना दी ।दीपक तुरंत अपने कुछ रिश्तेदार और दोस्तों के साथ बहन की ससुराल गया और किवाड़ तोड़कर अपनी बहन के जिश्म में लगी आग को पहले बुझाया,फिर उसे लेकर सदर अस्पताल आये,जहां से उसे सूर्या क्लीनिक में भर्ती कराया गया है ।इस मामले में पुलिस ने सौम्या के बयान पर पति बबलू,सास–स्वसुर सहित आठ लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है ।पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है लेकिन घटना का सूत्रधार सौम्या का पति अभी भी फरार है ।
इस घटना ने एकबार फिर साबित कर दिया की बेटी होना गुनाह और एक सजा है ।आधी आबादी किसी भी सूरत में महफूज नहीं है ।जिसके साथ जीने–मरने की कसमें खाकर सौम्या ने सात फेरे लिए थे,उसी ने उसकी ईहलीला खत्म करने की पटकथा लिख डाली ।
सौम्या को छः महीने की एक बेटी भी है ।सौम्या के रिश्तेदार रो रहे हैं और विलाप कर रहे हैं ।सभी को पता है की सौम्या बस चन्द घंटों की मेहमान है ।आखिर इंसान इतना क्रूर क्यों हो जाता है ?आखिर रिश्ते की डोर इतनी कमजोर क्यों पड़ जाती है ?इंसान आखिर हैवान क्यों बन जाता है ?सौम्या के गुनहगारों को हो सकता है कानून शख्त सजा दे लेकिन सौम्या अब कभी हमारे बीच वापिस नहीं आने वाली ।आधी आबादी को लेकर दर्शन देने वालों देखो बेटियों को कैसे ज़िंदा जलाया जाता है ।नारी का सम्मान अल्फाजों और आलेख सहित किताबों में खूब किये जा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत यही है की नारी कहीं भी सुरक्षित नहीं है ।

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