आधी आबादीकोशीसहरसा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारों की निकल रही हवा 

मासूम नवजात बच्ची को झाड़ी में फेंका 

समाज के लोगों की मरी इंसानियत का फहरा रहा है झंडा 

पाप की निशानी, या बेटी से नफरत का है ये नमूना

जिस देश में नारी की होती है पूजा, वहां आखिर क्यों होती है बच्चियों के साथ इस तरह की घटना
सहरसा बिहार से मुकेश कुमार सिंह दो टूक—
बिहार के सहरसा में बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के नारों की हवा  निकल रही है ।आज एक नवजात बच्ची जिला मुख्यालय के ऑफिसर कॉलोनी में एक झाड़ी में फेंकी हुई मिली ।

इलाके के ही दिवाकर सिंह और मिक्की देवी की नजर उस बच्ची पर गयी । उन्होनें उस बच्ची को वहां से निकाला और आस– पास के लोगों की मदद से उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे । हमें भी फोन आया लेकिन आज हम बेहद अस्वस्थ थे ।

हमने अस्पताल प्रबंधन को फोन कर आवश्यक बातें कही और उसके ईलाज में गंभीरता बनाये रखने की ताकीद करी ।अभी बच्ची नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती है ।आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि बच्ची के जिश्म पर सुअर ने हमला किया था और वह जख्मी भी है ।लेकिन इनदोनों महान लोगों ने उसे बचा लिया । हम तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं मिक्की देवी और दिवाकर सिंह का जिन्होनें मानवता की आज मिशाल कायम की है ।आगे हम बच्ची को जिंदा रखने में कोई कोर–कसर नहीं छोड़ेंगे ।सरकार बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का कार्यक्रम चला रही है ।

आधी आबादी को मजबूत करने के आसमानी नारे लग रहे हैं ।फिर क्या वजह है कि मानवीय संस्कार को घुन्न लग रहे हैं ।देश की आजादी के सात दशक बाद भी सामाजिक जागरूकता की कमी और मानवीय इच्छाशक्ति का अभाव बच्चियों की जान के असली दुश्मन है ।बच्चियां अच्छी नहीं हैं लेकिन पीढ़ी को चलायमान करने के लिए उसकी महती जरूरत ताकयामत रहेगी ।हद तो यह है कि नारी देह और उसका गोश्त मर्दों केे आनंद का बड़ा जरिया हैै तो,फिर बच्चियों के साथ यह अन्याय क्यों । चलते–चलते हम समाज से एक सवाल जरूर करेंगे कि ये बच्ची पाप की निशानी थी,या फिर बेटी से नफरत का है ये नमूना….

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