ग़ुलाम न बनों, अपनी शक्ति का एहसास कराओ.. NOTA का सोटा चलाओ… पूर्व IAS

सावधान ! झूँठ बोलने/धोखा देने वालों ने अपने आई॰टी॰ सेल के Paid Workers (शिकारी-कुत्तों) के माध्यम से सोशल मीडिया पर NOTA का विरोध किया जा रहा है. NOTA के सोशल मीडिया पर विरोध के लिए करोड़ों रुपए ख़र्च किए जा रहे हैं। कोई भी राजनीतिक दल किसी बड़े ‘जन-वर्ग’ को अपना ‘ग़ुलाम’ वोट बैंक समझकर जूते की नौंक पर नहीं रख सकता ….
- धोखेबाज़ों से सावधान ..
- NOTA का समर्थन अब एक जनंदोलन बन चुका है जिसमें अगड़े व पिछड़े सभी सम्मिलित हैं,
- इसे रोकना अब असंभव है।
- रोज़गार पर झूँट
- महँगाई पर झूँट
- अर्थव्यवस्था पर झूँट….
- खुलकर लूट ….
- और ऊपर से वोट की ख़ातिर अपने ही समर्थकों को बिना जाँच के जेल की सज़ा का तोहफ़ा….
अपने आत्मसम्मान के रक्षार्थ इस बार सिर्फ़ NOTA का सोटा . हर पोलिंग बूथ पर नोटा का बैनर लगा कर अपने आत्मसम्मान का प्रदर्शन करें…. देश को झूँठे व स्वार्थी ‘वोटों-के-लुटेरों’ से बचाएँ। ‘नोटा’ का विरोध करने वालों की छटपटाहट देखकर लगता है कि तीर निशाने पर लगा है और घाव गहरा हुआ है.. चाट-२ कर जीभ में छाले पड़ने लगें हैं, चमचों, चापलूस, चाटुकारों के..चरण चाट कर ‘भावी’ नेता बनने की चाहत पाले कुछ चारण ‘नोटा’ का विरोध करने पर रात-दिन एक किए हैं. अपने ‘नेता जी’ की खाज मिटाने के लिए चाटने में लगे पड़े हैं. आई॰टी॰ सेल वाले भी ….. कभी हिंदू-मुस्लिम का डर दिखा रहे हैं.. और उधर ‘नोटा’ के भावी प्रहार से ‘नेता जी’ को चक्कर आ रहा है !
हमने मोहब्बत के नशे में आकर जिसे खुदा बना डाला….. वही कमबख़्त हमारा अपमान करने पर तुला है …. विश्वासघात किया है तो प्रतिशोध को भी तैयार हो जाओ …. अब क्यों डर लगने लगा है, नोटा से।
आज का ज़ोर पकड़ता ‘नोटा-सत्याग्रह’ आंदोलन किसी पक्ष-प्रतिपक्ष को लाभ के उद्देश्य से नहीं है, अपितु अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए है। यह एक प्रतीक स्वरूप उसके साथ हुए ‘विश्वासघात’ पर आमजन का ‘सक्रिय’ प्रतिरोध है …. आप किसी वर्ग विशेष को वोट बैंक बनाने के लिए दूसरे को सता नहीं सकते। जो युवा पहले से ही बेरोज़गारी व महँगाई की मार से मर्माहत है उसे अब बिना जाँच/झूँठे के सहारे जेल भेज और अपमानित करोगे, तो प्रतिरोध होगा …..नोटा दबेगा। किसी ने ठीक कहा है कि…..’विश्वासघाती मित्र से अच्छा वो शत्रु है जो छाती पर वार करता है’…. यहाँ तो पीठ पर वार हुआ है। जो ‘वीर’ है वह इस बार ‘नोटा’ का ‘बाण’ दागेगा … और जो ग़ुलाम व कायर है, वह बहाना ढूँढेगा…. ग़ुलामी में बँधे रहने के लिए कुतर्क देगा … और यदि Paid वर्कर है, नोटा का विरोध उसकी मजबूरी है …. लेकिन जो स्वतंत्र है, आत्मसम्मानी है, निडर है, निर्लोभी है….. वह ‘विश्वासघात’ का बदला लेगा …. अपनी ‘शक्ति’ दिखाएगा…. चुपचाप घर नहीं बैठेगा … बाहर निकलेगा, शान से अपना ‘मत’ व्यक्त करेगा और ‘नोटा’ का बटन दबाएगा….. लोकतंत्र के इस पराजित स्वरूप में अधिकांश ‘नेता’ चोर हैं….. माँ भारती के दामन को दाग़दार करते हैं…… सारी दुनिया में यह संदेश भेजना है। अब तो चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्ता भी ख़तरे में नज़र आती है। फिर कोई भविष्य में ऐसा ‘विश्वाशघात’ करने का दुस्साहस न करे …. इस लिए इस बार ‘नोटा की चोट’, नोटबंदी से भी गहरी लगे।
कविश्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के शब्दों में ……
“सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते,�विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं”।
…… ‘नोटा’ लोकतंत्र के जागरूक प्रहरियों के लिए ‘आत्मसम्मान’ का प्रतीक होकर उभरेगा…. एक बार ये करना ही होगा …..लोकतंत्र को बचाने के लिए व आने वाली पीढ़ी के लिए भी।
# अब की बारी- नोटा भारी #NOTA