कोशीसहरसा

हत्या को लेकर दिनभर सुलगता रहा सहरसा

 

हत्या को लेकर दिनभर सुलगता रहा सहरसा                                                                                                                                         बेखौफ अपराधी और सुस्त खाकी के खिलाफ हल्ला बोल
एसपी भगाओ,डीएसपी भगाओ,थानाध्यक्ष भगाओ के नारे से गुंजायमान रहा सहरसा
मृतक अमित रंजन उर्फ नीलेश कुमार के शव के साथ जमकर हुआ प्रदर्शन
बीते कल शाम अपराधियों ने गोली मारकर नीलेश की हत्या करी थी
आंदोलन में छातापुर विधायक सहित तीन पूर्व विधायकों ने खोला मोर्चा
सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक—
सहरसा में अपराधियों की समानांतर सरकार चल रही है ।पुलिस की खाकी की हनक महज पैसे वसूली में दिखती है ।पुलिस पर ना केवल अपराधी भारी हैं बल्कि अपराधी मनमाफिक तरीके से संगीन अपराध को अंजाम भी दे रहे हैं ।बेचारी खाकी अपराध की मोटी फाइलों को संभालने में हांफती रहती है ।
बीते कुछ महीनों की बात करें तो इस इलाके में एक दर्जन से अधिक लोगों की हत्या हुयी है,जो यह बताने के लिए काफी है की कम से कम सहरसा में सुशासन कतई नहीं है ।ताजा वाकया सहरसा जिले के सोनवर्षा राज थाना के सोहा गाँव के समीप की है,जहां कल रविवार की शाम अज्ञात अपराधियों ने एलजी कम्पनी में कार्यरत अमित रंजन उर्फ नीलेश कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी ।इस हत्या से एक बार फिर इस इलाके में सनसनी फ़ैल गयी ।आज मृतक के लाश के साथ पुरे सहरसा जिला मुख्यालय में दिनभर ऐतिहासिक हंगामा होता रहा ।सब से पहले आक्रोशित लोगों ने शंकर चौक,गंगजला चौक और थाना चौक को सुबह से ही जाम कर यातायात को पूरी तरह से ठप्प कर दिया था ।फिर उसके बाद आक्रोशित भीड़ को नेतृत्व देने सुपौल जिले के छातापुर बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू,पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना,भाजपा के पूर्व विधायक संजीव कुमार झा और भाजपा के ही पूर्व विधायक डॉक्टर आलोक रंजन पहुँच गए । देखते ही देखते पूरा शहर इंसानी भीड़ से पट गया ।कई जगह इन चारों माननीय के नेतृत्व में धरने हुए उसके बाद सभी जिला समाहरणालय के गेट पर लाश के साथ जम गए ।इस दौरान सरकार और पुलिस के खिलाफ नारों की जमकर बरसात होती रही ।

शव के दाह–संस्कार का इंतजाम समाहरणालय गेट पर ही कर लिया गया था लेकिन जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल और एसडीओ सौरभ जोरवाल ने तत्परता दिखाई और सभी माननीयों से वार्ता की ।माननीयों ने अधिकारी द्वय को आठ सूत्री मांगों का एक ज्ञापन सौंपा,जिसमें एसपी,डीएसपी और थानाध्यक्ष को भगाने का जिक्र था ।इस माँगपत्र में सोनवर्षा राज थानाध्यक्ष इजहार अहमद की अकूत संपत्ति की जांच,उनपर मुकदमा करने के साथ–साथ तत्काल प्रभाव से मुअत्तल करने की बात कही गयी थी ।यही नहीं कुछ महीनों के भीतर हुयी हत्याओं के बाद पुलिस की नाकाम कार्रवाई का भी इसमें जिक्र था ।साथ ही मृतक नीलेश के परिजन को सरकार द्वारा 20 लाख मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी के अलावे एलजी कम्पनी से 25 लाख के मुआवजे देने की बात भी कही गयी है ।जिलाधिकारी और एसडीओ ने तमाम मांगों को सरकार को संप्रेषित करने का भरोसा दिलाया और कहा की सहरसा की मौजूं कानून–व्यवस्था से भी वे सरकार को अवगत कराएंगे ।तत्काल प्रभाव से सोनवर्षा राज थाना अध्यक्ष इजहार आलम को लाईन हाजिर कर दिया गया है ।


तमाम बातचीत के बाद जनाक्रोश थमा और शव को लेकर मृतक के परिजन अपने गाँव सोहा के लिए रवाना हो गए ।
आज के इस जनाक्रोश में पुलिस के प्रति लोगों का अकूत अविश्वास सड़क पर दिख रहा था ।सुरक्षा देने वाली खाकी मैली नजर आ रही थी ।हांलांकि आंदोलन को उग्र होने से बचाने के लिए कई थानों को पुलिस बुलाई गयी थी ।सहरसा के एसपी अश्वनी कुमार इस उग्र आंदोलन में हमें कहीं नजर नहीं आये ।
पुलिस आज सेवा नहीं नौकरी कर रही है ।आखिर में हम यह ताल ठोंक कर कहते हैं की सहरसा पुलिस अपराध पर लगाम लगाने में पूरी तरह से फिसड्डी है लेकिन महीना,हफ्ता और रोजाना वसूली में सबसे अव्वल है ।जय हो सहरसा पुलिस की और जय हो सरकार की ।

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