कोशीसहरसा

पेट की खातिर जुगाड़ जरुरी है साहेब

*अतिक्रमण हटाने के बाद कटघरे की जगह साईकल पर चल रही है दुकानदारी …..
*सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है यह बेबसी…..
सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक—
जिला समाहरणालय के सामने अतिक्रमण हटाने के नाम पर चाय,नाश्ते,पान,गुटखे आदि की गुमटी को जिला प्रशासन ने हटाकर,इलाके को तो चकाचक कर लिया लेकिन अपने छोटे से धंधे से अपने परिवार की गाड़ी खींचने वालों की जिंदगी आखिर कैसे चलेगी,इसपर हाकिम का कलेजा नहीं पसीजा ।
एसी रूम में बैठे ये नौकरशाह मोटा वेतन उठाते हैं ।इन्हें गरीब,मजलूम और मुफ़लिसी के शिकार लोगों की पीड़ा और जीवन से क्या लेना–देना है ।ये तो ठहरे परदेशी ।जीभर के उगाही करेंगे और सरकारी फरमान पर फिर किसी दूसरे जिले को लूटने के लिए निकल पड़ेंगे ।मानवता नाम की कोई चीज नहीं रही गयी है ।जिसका जितना बड़ा पद वह उसी अनुपात में बड़ा कसाई और जल्लाद हैं ।

देखिये इस युवक को ।गरीबी में दो पैसे कैसे कमाएं जिससे परिवार का भरण–पोषण हो सके,इसके लिए यह जिंदगी से जंग लड़ रहा है । एक सप्ताह पहले इसी जगह पर इसकी बड़ी गुमटी थी लेकिन उसे जिला प्रशसन ने तहस–नहस कर दिया ।देखिये साईकिल पर यह पान,खैनी,सिगरेट और गुटखे का कारोबार कर रहा है ।मजबूरी और लाचारी का यह युवक ज़िंदा इस्तेहार है ।चोरी,डकैती और छिनतई की जगह इसका साईकिल पर छोटा सा कारोबार चलाना,यह जाहिर करता है की इसे अपने परिवार की कितनी चिंता है ।यह तस्वीर सिस्टम की नाकामियों की खुली किताब भी है ।काश ! सरकार और नौकरशाह इसकी मज़बूरी को समझ पाते । गरीबों के नाम के जयकारे लगाने वाली सरकार की वह सारी योजनाएं कहाँ हैं,जिनका लाभ इस युवक जैसे अनगिनत जरूरतमन्द गरीबों को मिलने चाहिए ।सरकारी फाईल और कम्प्यूटर के डाटे बताते हैं की सरकार और उनके मुलाजिम गरीबों को बड़ी योजनाओं के लाभ से लगातार लाभान्वित कर रहे हैं ।लेकिन जमीनी हकीकत बेहद शर्मनाक और सिस्टम पर थू–थू करने वाली है ।

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