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रोहित हत्याकांड से पर्दा हटाने में खुद जुटे हैं डीजीपी,कहा होगा दूध का दूध और पानी का पानी

रोहित हत्याकांड से पर्दा हटाने में खुद जुटे हैं डीजीपी,कहा होगा दूध का दूध और पानी का पानी

पटना (बिहार) : बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने बीते 15 मई को गोपालगंज जिले के कटैया गाँव का दौरा किया था और बहुचर्चित रोहित जायसवाल हत्याकांड मामले में मृतक बच्चे की माँ,पिता और नाना से लंबी बातचीत की थी । रोहित की मौत जिस जगह हुई थी, डीजीपी ने वहाँ खुद पानी में उतरकर, जाँच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया ।डीजीपी, रविवार को अपने ऑफिशल फेसबुक अकाउंट के जरिये लाईव आकर, इसी पूरी घटना पर ना केवल प्रकाश डाला बल्कि यह कहा कि तमाम जाँच के मृतक बच्चे के परिजनों के बयान और वादी द्वारा दर्ज कराए गए कांड के आधार पर होगा । अभी हम किसी नतीजे पर पहुँचने की तरह कोई संकेत नहीं दे रहे हैं । मृतक रोहित के परिजनों ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है, इसलिए पुलिस तमाम विन्दुओं को समेटकर पारदर्शी तरीके से जांच कर रही है । इस मामले में 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है । इसमें से पाँच की गिरफ्तारी हो चुकी है । पाँच में से चार रोहित के दोस्त ही हैं जिन्हें गिरफ्तारी के बाद किशोर न्यास बोर्ड ने कोरोनाकाल के मद्देनजर, बाल सुधार गृह भेजने की जगह, तत्काल रिहा कर दिया है । इन चारों की घर वापसी से पीड़ित पक्ष को लगा कि पुलिस की वजह से ये चारों छोड़ दिये गए हैं । मृतक के परिजनों का पुलिस पर काफी गुस्सा और आक्रोश था । डीजीपी ने पीड़ित के परिजनों को कानून के बारे में सारी जानकारी दी । डीजीपी गुप्तेश्वर पांडये ने कहा कि रोहित की मृत्यु का उन्हें भी गहरा दुख है । रोहित के परिजनों का दुःख जायज है । रोहित अपनी मौत से पूर्व चार दोस्तों के साथ घर से निकला था । इसमें उसके मुस्लिम दोस्त भी शामिल थे । अब खेलने के दौरान, या फिर नहाने के दौरान, कुछ ऐसा हुआ जिससे रोहित की डूबकर मौत हो गयी । इस बात का जिक्र और पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर हो रही है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखने वाले डॉक्टर और अन्य चिकित्सक से भी डीजीपी ने पोस्टमार्टम को लेकर लंबी बातचीत की, जिसमें यह स्पष्ट है कि रोहित की मौत पानी में डूबने से हुई है । लेकिन इस रिपोर्ट से ईतर, डीजीपी इस पूरे मामले की गहरी जाँच चाहते हैं, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये । डीजीपी ने यह भी कहा कि उन्होंने ऐसे पचास से अधिक लोगों से भी बातचीत की जिन्हें पीड़ित और आरोपी पक्ष से कोई सरोकार नहीं था । डीजीपी ने अपनी जांच में यह पाया कि इस घटना में हत्या के पीछे की कोई वजह नहीं मिल रही है, जबकि किसी भी हत्या के पीछे, कोई ना कोई कारण होता है । फिर भी, पीड़ित पक्ष ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है, इसलिए पुलिस इस बात को संज्ञान में रखकर अनुसंधान कर रही है । डीजीपी ने कहा है कि कोई भी थानेदार पीड़ित के साथ गाली-गलौज या अभद्र भाषा का प्रयोग करेगा, यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा । उन्होंने कहा कि थानेदार कई तरह के तनाव से गुजरते हैं, लेकिन फिर भी वे जनता के साथ बदसलूकी नहीं कर सकते हैं । अगर कोई थानेदार ऐसा करता है, तो उससे पूरे पुलिस महकमे की बदनामी होती है । उसके खिलाफ हर हाल में कारवाई होगी । उन्होंने उस थानेदार को, तुरन्त सस्पेंड कर दिया जिसके ऊपर मृतक रोहित के परिजनों के साथ अभद्र व्यवहार का आरोप लगा था । डीजीपी ने रविवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों को बताया कि उन्होंने खुद इस हत्याकांड की तहकीकात की है । मामला हत्या का है या फिर नदी में डूबने का, पुलिस तह में उतरकर अनुसंधान कर रही है । डीजीपी ने बड़े साफ लहजे में कहा है कि लोगों ने यह अफवाह उड़ाई कि मस्जिद के लिए बच्चे की हत्या की गई । जाहिर तौर पर, अफवाह फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की गई है । डीजीपी ने कहा कि उस गाँव में कोई मस्जिद है ही नहीं और ना ही वहाँ कोई मौलाना ही है । एक मस्जिद निर्माण की शुरुआत जरूर हुई है लेकिन उसका निर्माण कार्य अभी पूरा का पूरा अधूरा है । डीजीपी ने कहा कि रोहित की मौत, या फिर हत्या के बाद, मृतक के परिजन फरियाद लेकर कटैया थाना में थानेदार के पास पहुँचे थे लेकिन थानेदार ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया था । मामला सामने आने के बाद, हमने सबसे पहले थानेदार को निलंबित कर दिया । हम किसी थानेदार को यह ईजाजत नहीं दे सकते हैं कि अगर कोई पीड़ित थाने में आता है, तो उसके साथ अभद्र व्यवहार किया जाए । अगर कोई ऐसा करता है, तो उस पर वे निसन्देह, कार्रवाई करेंगे । गौरतलब है कि बेटा को खोने के बाद जब माँ कटैया थाने में फरियाद लेकर गई थी, तो थानेदार ने उल्टे महिला के साथ गाली-गलौज कर के, उन्हें थाने से भगा दिया था ।इस प्रकरण का वीडियो सामने आने के बाद, पुलिस मुख्यालय ने संज्ञान लिया था । रविवार को अपने फेसबुक लाइव के जरिये डीजीपी ने कहा कि पुलिस मामले की पड़ताल अभी भी एक हत्या का मामला मानकर कर रही है । हांलांकि इस मामले में,एकतरह से सबकुछ साफ हो चुका है लेकिन पुलिस की जाँच अभी पूरी नहीं हुई है । गाँव में किसी भी तरह का साम्प्रदायिक तनाव नहीं है । हमने डीजीपी के फेसबुक लाईव से बहुत सारी चीजें निकालीं । मोटे तौर पर हमें कुछ बातें बेहद अहम लगीं । डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि वैसे तो हमने बहुत लोगों से विस्तार में बयान लिए हैं लेकिन वीडियो बहुत लंबा और बोझिल हो जाता, इसलिए इसे छोटा-छोटा करके बनवाया है । हमारा उद्देश्य सिर्फ अफवाहों को रोकना और साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखना है । हमने डीजीपी गुप्तेश्वर पांडये के पूरे लाईव शेषन को गम्भीरता से सुना और उनके इस दौरे और उनकी जाँच को पूरी तरह से जब निचोड़ा तो, बतौर डीजीपी यह पाया कि वादी, उनकी पत्नी और परिजन सहित किसी अभियोजन साक्षी ने किसी धार्मिक स्थान पर मृतक की बलि देने की बात नही बतायी है और ना ही किसी सम्प्रदाय विशेष के भय से घर छोड़ने की बात बतायी है । वादी ने ये कहा कि वे एस.एच.ओ. के डर से घर में नहीं रहते हैं, जिनको डीजीपी ने निलम्बित कर दिया है । सारे ग्रामीणों,स्थानीय पत्रकारों ने एक स्वर से बताया कि ये कहीं से साम्प्रदायिक मामला है ही नहीं और गाँव में पूरी तरह से शांति है ।पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर के किसी बाहरी या भीतरी अंग पर किसी प्रकार के चोट का साक्ष्य नहीं है । मृत्यु का स्पष्ट कारण, डूबने से हुई मौत बताया गया है । पानी के अंदर ऑक्सीजन की कमी को, मौत की वजह बताया गया है । यही नहीं, डीजीपी ने यह क्लियर कर दिया कि पुलिस के द्वारा सी.आई.डी. की निगरानी में निष्पक्ष अनुसंधान जारी है और वादी द्वारा हत्या करने के दावे को, सच मानते हुए अभियोजन के पक्ष में सबूत जुटाए जा रहे हैं । आखिर में, डीजीपी कह रहे हैं कि आप हमारी मदद करें और किसी भी प्रकार की अफवाह से बचें । इस सूबे और देश में अमन और चैन का रहबसर रहने दें । इस वाकये ने एक बार फिर से यह जाहिर कर दिया है कि डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय रियल नायक और कर्मवीर हैं । इनकी मंसा साफ है कि प्रदेश के लोगों के बीच किसी भी तरह का साम्प्रदायिक तनाव या खटास नहीं रहे । जाहिर तौर पर डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को अनावश्यक तनाव से मुक्त रखना चाहते हैं । किसी हत्याकांड, या मौत के मामले में डीजीपी के द्वारा सशक्त हस्तक्षेप करना, उनकी कर्तव्यपरायणता का जीवंत सर्टिफिकेट है ।

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