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बैंक का कर्ज चुकाने के लिए कुख्यात अपहर्ता बना अजय सिंह

  • फिरौती के रुप में अबतक वसूल चुका है 20 करोड़ से ज्यादा
  • पीयू का रहा पोस्ट ग्रेजुएट छात्र, दो बार लड़ा चुनाव भी
  • संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसी) की भी दो बार दी थी परीक्षा

आभार वरिष्ठ पत्रकार विनायक विजेता-पटना– गया केन्द्रीय कारागार में मई 2015 बंद अपहर्ता गिरोह का कुख्यात सरगना अजय सिंह ने बैंक से लिए गए 45 लाख के कर्ज को चुकाने के लिए अपहरण और अपराध का रास्ता अपनाया। अजय सिंह शनिवार उस वक्त फिर से सुर्खियों में आ गया जब उसके गिरोह द्वारा मध्य प्रदेश के रीवा से दो माह पूर्व अपृह्त लाला उर्फ संत को पुलिस ने मुजफ्फरपुर से तो मुक्त कराया ही गिरोह के पांच सदस्यों को उन 40 लाख रुपयों के साथ गिरफ्तार कर लिया जो रुपये अपृह्त के परिवार ने फिरौती के रुप मेंं चलती ट्रेन से अपहर्ताओं के इशारे पर फेके थे।

गिरफ्तार अपहर्ताओ में से तीन को सासाराम शिवसागर के बीच सिथत टॉल प्लाजा और तीन अपहर्ताओं को मुजफ्फरपुर पुलिस के सहयोग से मुजफ्फरपुर के एक गांव से गिरफ्तार कर वहीं बंधक बना कर रखे गए लाला उर्फ संत को मुक्त कराया गया। इस गिरोह का मास्टर माईंड अजय सिंह भले ही जेल में है पर अपहरण की पुरी योजना और फिरौती के रकम वसूलने के तरीके उसी नेेबनाए थे।

बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित अबतक कई राज्यों में बड़े अपहरण की योजना को अंजाम देने वाले अजय सिंह और उसके गिरोह ने दर्जनों अपहरण में फिरौती के रुप में अबतक 20 करोड़ से ज्यादा के रुपये की उगाही की है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चन्द्रशेखर से काफी नजदीकियां रखने वाला अजय सिंह की गिनती अपराध की दुनिया में आने के पूर्व पटना विश्विद्यालय के एक तेज-तर्रार और मेधावी छात्र के रुप में की जाती थी। राजीतिक विज्ञान में पीजी किए अजय सिंह ने 1986 और फिर 1987 में यूपीएससी की परीक्षा भी दी। मूल रुप से औरंगाबाद का रहने वाला अजय सिंह ने वर्ष 1990 में औरंगाबाद के नवीनगर से विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर वर्ष 1991 में उसने चंद्रशेखर की पार्टी से चतरा लोकसभा सीट पर किस्मत आजमायी पर उसे कहीं सफलता नहीं मिली। इसके पूर्व 1988 में औश्रंगाबाद में व्यवसाय करने के लिए उसने बैंक से 45 लाख का भरी-भरकम ऋण लिया जिसे वह चुका नहीं पाया। 90 के मध्याह दशक में जब बैंक ने उसपर लोन लौटाने का दवाब बनाना शुरु किया तो उसने बैंक का कर्ज लौटाने के लिए अपराध का रास्ता चूना। इक्यावन वर्षीय अजय सिंह चर्चा में 2003 में तब आया जब उसने जयपुर के एक बड़े स्वर्ण व्यवसायी रमाकांत की पत्नी सुमेधा का अपहरण करने के बाद उसके परिजनों से 2.50 करोड़ की फिरौती वसूल की। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई झारखंड, बिहार सहित कई राज्यों में ताबड़तोड़ अपहरण की घटनाओं को अंजाम दिया।

अजय सिंह के अपराध और अपहरण का तरीका अलग होता था और हर बार के वारदातों में वह अपने गिरोह में इसलिए नए चेहरे को शामिल करता था ताकि उसे उन अपराधियों को उनके हिस्से के रुप में ज्यादा रुपये नहीं देने पड़े। सुमेधा अपहरण के कई माह बाद अजय सिंह को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया। इस मामले में राजस्थान की अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाए जाने के बाद अजय सिंह राजस्थान की जेल में था। वर्ष 2011 में उसकी मां की मृत्यु हो गई जिसके श्राद्धकर्म में सम्मिलित होने के लिए उसे सात दिनों का पेरोल मिला। पेरोल पर निकलने के बाद अजय सिंह फरार हो गया। फरारी स्थिति में ही उसने फिर कई बड़े अपहरण कांडों को अंजाम दिया। इन कांडों में सबसे चर्चित गया के डाक्टर दंपत्ति डा. पंकज गुप्ता और उनकी पत्नी डा. शुभ्रा गुप्ता का 01 मई 2015 को हुआ अपहरण कांड था। डाक्टर दंपत्ति को उनकी ओडी कार के साथ ही अपृह्त कर लखनऊ के गोमती नगर स्थित एक अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर-906 में बंधक बनाकर रखा गया था। डाक्टर दंपत्ति की पांच दिनों के बाद कैसे रिहाई हुई यह तो आज भी एक रहस्य है।

6 मई 2015 को बिहार और यूपी एसटीएफ ने उस अपार्टमेंट में छापेमारी कर अजय सिंह सहित गिरोह के 9 सदस्यों जिनमें मृत्युंजय कुमार, बिट्टू कुमार, विजय कुमार, अमित सिंह, सुनील, अमित कुमार, श्रवण कुमार व अनिल सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने तब अपार्टमेंट के पास ही खड़ी चिकित्सक दंपत्ति की ऑडी कार, दो अन्य अन्य ट्वेटा कार, बिहार-झारखंड पुलिस की वर्दियां व हथियार भी बरामद किए थे। शनिवार को भी मुजफ्फरपुर पुलिस ने अजय गिरोह के पास से हथियार सहित पुलिस की वर्दियां बरामद की हैं।

तीन वर्ष पूर्व लखनऊ से गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही अजय सिंह गया जेल में है और वह वहीं से वह अपने गिरोह का संचालन कर रहा है। 2015 में हुए गुजरात के बड़े व्यवसायी हनीफ हिंगोरा के पुत्र सुहैल हिंगोरा के भी अपहरण का शक अजय सिंह गिरोह पर ही था। क्योकि तब हनीफ हिंगोरा ने यह दावा किया था कि हाजीपुर में उनके पुत्र के एवज में फिरौती वसूलने वाले लोगों में पुलिस की वर्दी में भी दो लोग थे। चर्चा थी कि तब हनीफ हिंगोरा से 7 करोड़ की भारी राशि फिरौती के रुप में वसुलने के बाद उनके पुत्र को मुक्त किया गया था। शनिवार को भी अजय सिंह गिरोह 40 लाख की फिरौती लेकर फरार हो ही जाता लेकिन रोहतास एसपी सत्यवीर सिंह की दूरदर्शिता और त्वरित कार्यवाई ने अपहर्ता गिरोह के मंसूबे पर पानी फेर दिए।

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