सहरसा में कोटा,मद्रास,बेंगलुरु और चेन्नई जैसा संस्थान
कोसी इलाके में सपनों को लग रहे पंख
कम फीस में अत्याधुनिक तरीके से पढ़ाई और छात्रावास की सुविधा
प्रगति क्लासेज लिख रहा है शिक्षा का नया इतिहास
सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक—
अमूमन बिहार के सभी जिलों से लेकर बिहार की राजधानी पटना में भी शिक्षा का स्तर हालिया वर्षों में काफी गिरा है ।बिहार के अधिकतर छात्र–छात्राओं का पलायन दूसरे प्रांत में हो रहा है । एकेडमिक पढ़ाई की बात करें तो,अंतर स्नातक हो,स्नातक हो या फिर पोस्ट ग्रेजुएट,सभी तरह की शिक्षा अब छात्र–छात्राएं बाहर जाकर ही लेना, अपनी पहली पसंद बना चुके हैं । बीएचयू,डीयू,अलीगढ विश्विद्यालय,इलाहाबाद विश्वविद्यालय,लखनऊ विश्विद्यालय सहित साऊथ के कई विश्व विद्यालय ऐसे हैं,जहां से सभी डिग्री लेने की ख्वाहिश रखते हैं ।ऐसे में तकनीकी शिक्षा की बात करें तो,इंजीनियरिंग, मेडिकल,कंप्यूटर,एमबीए,मॉस कम्युकेशन, इंवरामेंटल साइन्स सहित अन्य डिग्री के लिए छात्र–छात्राओं को बाहर का रुख करना उनकी विवशता और लाचारी बन गयी है ।जीवन में कुछ नया,कुछ बड़ा और अद्भुत करने के लिए निसंदेह बड़े शिक्षण संस्थान की महती जरूरत होती है । आधुनिक दौर में शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है लेकिन आंकड़े गवाह हैं की नामी शिक्षण संस्थान में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है ।
बदलते परिवेश में कोसी कछार,कास और पटेर के इलाके में एक शिक्षण संस्थान किवदंती की तरह आधुनिक शिक्षा का अलख जगा रहा है ।सहरसा के रिफ्यूजी चौक स्थित प्रगति क्लासेज एक ऐसे शिक्षण संस्थान के रूप में अपना पाँव पसार रहा है,जो आने वाले दिनों में मिल का पत्थर साबित होगा ।प्रगति क्लासेज संस्थान की स्थापना 5 मई 2014 को हुयी ।नंदन कुमार इसके संस्थापक हैं । नंदन के छोटे भाई डॉक्टर चन्दन कुमार इस संस्थान के एकेडमिक डायरेक्टर हैं ।प्रगति क्लासेज में शिक्षा देने वाले अधिकतर गुरुजन बिहार से बाहर के हैं जिन्होनें उच्च शिक्षा ले रखी है ।डॉक्टर वीरेंद्र कुमार NMCH से MBBS की डिग्री लिए हुए हैं,जो यहां बायोलॉजी पढ़ाते हैं । पंकज कुमार सिल्चर से NIT किये हुए हैं,जो मैथ पढ़ाते हैं ।विजय भूषण पथिक,यूँ तो सुपौल जिले के राघोपुर के रहने वाले हैं लेकिन NIT भोपाल से कर के यहां फिजिक्स पढ़ा रहे हैं ।आशीष सुरा राजस्थान के रहने वाले हैं,जिन्होंने भोपाल से NIT किया है और यहां केमेस्ट्री पढ़ा रहे हैं ।आनंद कुमार रुड़की से IIT कर रखे हैं और इस संस्थान में केमेस्ट्री पढ़ा रहे हैं ।इनके अलावे भी कई और योग्य शिक्षक हैं जो यहां शिक्षा की नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं ।
सब से खास बात यह है की सहरसा जैसे कस्बाई और एक छोटे शहर में ऐसा शिक्षण संस्थान,खुद अपने आप में एक कहानी है ।ग्यारहवी और बारहवीं कक्षा से लेकर मेडिकल और इंजीनियरिंग की यहां पढ़ाई होती है ।कम फीस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोशिश,हमारी समझ से नायाब और बेनजीर पहल है ।यहां को–एडुकेशन है । लड़के और लडकियां दोनों साथ–साथ क्लासेज करते हैं ।संस्थान ने छात्र और छात्राओं के लिए अलग–अलग छात्रावास की व्यवस्था कर रखी है ।घर से संस्थान और संस्थान से घर जाने के लिए वाहन की व्यवस्था है ।आउटडोर और इनडोर खेल की भी व्यवस्था है ।
आज बड़े शहरों में जहां बच्चे प्रदूषण युक्त माहौल में पढ़ने को तयशुदा हैं,वहीं यह संस्थान प्रदूषण मुक्त है ।फिलवक्त दो मंजिल वाले विशाल भवन में यह संस्थान चल रहा है ।कई वर्ग कक्ष के साथ–साथ शिक्षकों के अलग–अलग कक्ष हैं ।
हमारे इस आलेख को लिखने का एक बड़ा मकसद है ।यह संस्थान के प्रचार के लिए पैसे लेकर लिखा जाने वाला आलेख नहीं है ।हमने मानक और कसौटी पर इस संस्थान को कसा है और फिर हम लिखने को मजबूर हुए हैं ।नंदन कुमार और डॉक्टर चन्दन कुमार बधाई के साथ–साथ हौसला आफजाई के पात्र हैं जिन्होंने सहरसा जैसी छोटी जगह पर इतना बड़ा साहस दिखाया है ।पूछने पर चन्दन और नंदन कहते हैं की हमदोनों भाई ने बिहार से बाहर शिक्षा पाने में बहुतो कठिनाईयां झेली थी ।छात्र जीवन में ही हमने यह फैसला लिया था की अपनी मिट्टी पर बड़ा शिक्षण संस्थान खोलेंगे और इस इलाके से बच्चों का पलायन रोकेंगे ।अभी इस संस्थान में सहरसा, मधेपुरा,सुपौल,कटिहार,किशनगंज,
वाकई यह संस्थान बेहद मायने वाला है ।आनेवाले दिनों में इस संस्थान का शौर्य और इसकी आभा खूब टपकेगी ।आखिर में हम ताल ठोंककर कहते हैं की गर हौसला और जुनूँ हो,तो,पहाड़ खोदकर भी दूध की नदिया बहाई जा सकती है ।चन्दन और नंदन ने वह करिश्मा कर दिखाया है,जिसे आसानी से सोच पाना भी नामुमकिन है ।हम दिल से दुआ करते हैं की इस संस्थान को सुर्खाब के पर लगें और यह आसमान की ऊंचाई तक पहुंचे ।