
26 मार्च से कार्यपालक सहायक का अनिश्चित कालिन हड़ताल
कई विभागों में वर्षो से मानदेय नहीं…
सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट——– बिहार सरकार के कार्य में पड़ सकता है बाधा। पूरे बिहार के कार्यपालक सहायक सोमवार से रहेंगे अनिश्चित कालिन हड़ताल पर। कई जिला प्रशासन सरकारी कार्य में वाधा उत्तपन्न न हो इसके लिय वैकल्पिक व्यवस्था के लिय है तैयार। कई विभागों में वर्षों से मानदेय नहीं मिला है।

बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम के अलावा अन्य सभी सरकारी विभागों में नियोजित कार्यपालक सहायकों के पूर्व से लंबित मांगों की पूर्ति नहीं होने के कारण दिनांक 26 मार्च 2018 से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. 1 फरवरी 2018 बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी सामान्य प्रशासन विभाग अंतर्गत सभी सरकारी विभागों में कार्यरत कार्यपालक सहायकों का अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई थी किंतु अनिश्चितकालीन हड़ताल को वापस लेने के लिए । बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ बिहार पटना के शीर्ष नेताओं को वार्ता हेतु बुलाया गया था मिशन निर्देशक द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि आप लोग 15 दिनों का समय दें आपकी मांगों को शाशि परिषद की बैठक में पारित करा कर लागू किया जाएगा. इस आश्वासन पर संघ द्वारा हड़ताल वापस किया गया था लेकिन निर्धारित अवधि तक मिशन द्वारा संघ के मांगों पर अद्यतन तक कोई निर्णय नहीं लिया गया जिस कारण से पूरे बिहार के कार्यपालक सहायक आक्रोशित एवं मर्माहत है. पुनः 16 मार्च 2018 को ज्ञापन के माध्यम से आग्रह किया है कि दिनांक 23 मार्च 2018 तक बिना किसी शर्त हमारी मूल मांगो को पूर्ण किया जाए। अन्यथा की स्थिति में भी ऐसा राज्य इकाई ने दिनांक 26 मार्च 2018 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है हमारी प्रमुख मांगे हैं।
(1)कार्य से हटाए गए कार्यपालक सहायकों के पूर्व नियोजन समायोजन का प्रावधान बकाया अंत राशि का भुगतान।
(2) सेवा नियमितीकरण स्थायीकरण
(3) मानदेय का निर्धारण सातवें वेतन के आधार पर
(4) सेवाशर्त का निर्धारण समान काम समान वेतन
(5) पूर्व के आंदोलन के क्रम में दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए
जाहिरतौर पर बिहार सरकार आजके दौर में उपलब्धि गिना रही है वह सिर्फ सभी विभागों में कार्यरत संविदा पर बहाल कार्यपालक सहायकों द्वारा किया किया जा रहा है। बिहार सरकार की सभी सफलताएँ आईटी क्षेत्र से है परन्तु यह सभी कर्मी आज हासिय पर है कई विभागों में वर्षों से मानदेय नही मिला है जिसके कारण पारिवारिक हालात बद से बत्तर है। कई विभागों ने कार्य नही है का हवाला देते हुय नियोजन रद्द कर दिया है जिसके कारण बेरोजगारी का मार झेल रहे युवा रोड पर आ गया है। यदि बिहार के कार्यपालक सहायक अनिशिचत कालिन हड़ताल पर जाता है तो सरकारी कार्य में बाधा ही नहीं बल्कि सारा सिस्टम बन्द पड़ सकता है।