कोशीसहरसा

युवा पीढ़ी हो रही बेपटरी

अनुशासन और जीवन लक्ष्य के अभाव में हो रहे हैं अपराध
बीती रात सदर थाना के बम्पर चौक पर हुई गोलीबारी और चाकूबाजी में एक जख्मी
मुकेश कुमार सिंह की पड़ताल—
बीते कल देर शाम सदर थाना के बम्पर चौक पर एक खड़े ऑटो पर अपने मित्रों के साथ बातचीत में मशगूल गौतम नगर निवासी युवक विभु पांडेय पर स्थानीय हनुमान चौक निवासी दो सगे भाई मोनू सिंह और सोनू सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ हमला बोल दिया ।पहले तो विभु को हाथ और पांव में चाकू मारे फिर दो चक्र गोली चलाई और तमाम हमलावर फरार हो गए ।हांलांकि गोली विभु पांडेय को नहीं लगी लेकिन चाकूबाजी में वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया ।हमलावर एक चार पहिया वाहन और तीन बाईक पर सवार थे जिनकी संख्यां करीब डेढ़ दर्जन थी ।घटना के बाद शोर मचाने पर स्थानीय युवकों ने आनन–फानन में जख्मी को सदर अस्पताल लाया,जहां की कुव्यवस्था देखकर उसे नया बाजार स्थित आयुष–अर्णव नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया ।
नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉक्टर अजय कुमार सिंह ने बताया कि जख्मी के जख्म की सिलाई कर दी गयी है और उसकी स्थिति पूर्ण रूप से खतरे से बाहर है । इधर सूचना मिलते ही नर्सिंग होम पहुंचे सदर थानाध्यक्ष आर.के.सिंह ने जख्मी का बयान दर्ज किया ।बयान में जख्मी ने पूर्व के आपसी रंजिश का जिक्र किया है ।सदर थानाध्यक्ष ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच पुराना विवाद,इस घटना की वजह है ।विभु पांडेय भी संदेहास्पद चरित्र का युवक है और वह जेल भी जा चुका है ।पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और चिन्हित युवकों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है ।
इधर सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक हनुमान चौक निवासी बबलू सिंह के एक बेटे सोनू सिंह की बेरहमी से पिटाई विभु पांडेय और उनके सहयोगियों ने की थी,जिसमें सोनू सिंह स्थानीय एक निजी नर्सिंग होम में तीन दिनों तक कोमा में रहा था ।हांलांकि उस मामले में कोई केस दर्ज नहीं हुआ था ।जानकारी के मुताबिक केस दर्ज नहीं कराने का मकसद जबाबी हमला करना था ।
पुलिस सोनू सिंह,मोनू सिंह और विभु पांडेय का आपराधिक इतिहास खंगालने में जुटी है ।
युवा वर्ग में अपराध की प्रवृति पुलिस के साथ–साथ सामाजिक चिंतकों के लिए एक बड़ी चुनौती है ।कम उम्र के लड़के भांग,गांजा,कोरेक्स सिरप,कई और सिरप,आयोडेक्स,सुलेशन और नशे की गोलियां खाने के आदी हो रहे हैं ।बीच में अगर शराब मिल गयी,तो समझिए वह दिन ऐसे युवाओं के लिए तीर्थ का दिन साबित होता है ।युवाओं के इसतरह से नशे की लत में आना,अपराध की वजह बन रही है ।माता–पिता का नैसर्गिक लगाम का अभाव और पारिवारिक परिवेश में बेहतर भविष्य के सांचे का अभाव,कम उम्र के बच्चों के भटकाव का रास्ता तैयार कर रही है ।स्कूल और कॉलेज सहित कोचिंग संस्थान का पर्यावरण भी शैक्षणिक गरिमा का मखौल उड़ा रहा है ।ऐसे में बच्चे अपराध को अपनाने को विवश हैं ।
आखिर छोटी उम्र से ही अपराध बच्चों की क्यों बन रही है पसंद ?यह यक्ष प्रश्न है ।बच्चे के आपराधिक प्रवृत्ति की सब से बड़ी वजह है कि उन्हें लगता है कि अपराध करने से उनके नाम का सिक्का जमेगा और उनसे बड़ी उम्र के लोग भी उनसे खौफ खाएंगे ।एक और बड़ी वजह यह है कि उन्हें लगता है कि अपराध के माध्यक से उन्हें अच्छी कमाई भी होगी ।जबकि यह मार्ग बच्चों के भविष्य को गर्त में ले जाता है और उनका जीवन औचित्यविहीन होकर रह जाता है ।बच्चों के हृदय में जमे आपराधिक प्रवृत्ति के लिए पारिवारिक परिवेश,सामाजिक परिवेश,शिक्षा का गिरता स्तर और पुलिस प्रशासन की नाकामी ज्यादा जिम्मेवार हैं ।आज की महती जरूरत यह है कि जाति-धर्म से ऊपर उठकर युवा पौध के संरक्षण और संवर्धन के मजबूत उपाय तलाशे जाएं ।बच्चों को उनके मौलिक जीवन मूल्य से साक्षात्कार कराया जाए ।देश और समाज के लिए अब निसन्देह पूर्वाग्रह से मुक्त बड़े और कालजयी प्रयास की जरूरत है ।

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