राजा कुमार की रिपोर्ट:——बिहार के सहरसा में भी जोरदार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संघर्ष मोर्चा को लेकर एक दिवसीय भारत बन्द कर प्रदर्शन किया गया। जिसमें सभी जान- प्रतिनिधि, भाई, बहनों, समाज सेवी,छात्र नोजवान ने सोमवार की सुबह से ही हजारों की संख्या में लोगों ने एक जुट होकर राजरानी एक्सप्रेस ट्रैन को रोक फिर सड़क पर प्रदर्शन किया। शहर को घंटो बंद कर रखा।
समुदाय के लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने भी कोई रीव्यू पटीशन दाखिल नहीं की जिससे केंद्र सरकार का दलित विरोधी रवैया स्पष्ट होता है. इससे दलितों पर होने वाले अत्याचारों में वृद्धि होगी व उन्हें मिलने वाले इंसाफ की उम्मीद और मद्धम हो जाएगी. इसी रोष में देश भर में दलित संगठनों ने उक्त फैसले के खिलाफ पूरे भारत को बंद का आह्वान किया है।केंद्रसरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की।
बात दे कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं भारत सरकार की मिलीभगत से इस में फेरबदल किया गया है। इस बदलाव में यह अधिनियम अप्रसांगिक हो गया है ।
अब हमारे समाज के ऊपर हत्या बलात्कार लूट मारपीट शोषण उत्तरी पर आगजनी की घटनाएं बढ़ेगी। इसलिए अनुसूचित जाति जनजाति संघर्ष मोर्चा जिला इकाई सहरसा के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति संघर्ष मोर्चा भारत के आवाहन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को एक दिवसीय सहरसा में बैनर तले रेल चक्का जाम।सड़क जाम जुलूस एवं प्रदर्शन का आयोजन किया गया है।अत्यचार निवारण के अधिनियम को 1989 में माननीय सर्वेच्च न्यायालय दिल्ली के द्वारा निष्क्रय किये जाने के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद किया गया। आज भारत बंद के समर्थन में सहरसा जिला में भीम आर्मी एवं विभिन्न पार्टी द्वारा बंद किया।