सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट ——- कहते हैं कि किसी भी राज्य,देश और समाज का हित युवाओं के ओजस्वी वजूद और उनके शास्वत कृत्यों से संभव है ।लेकिन अभी भी सहरसा जैसे कस्बाई इलाके में जातीय घुन्न युवाओं को गुमराह कर रहा है ।उक्त बातें श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के बिहार-झारखण्ड के मुख्य संगठन प्रभारी मुकेश कुमार सिंह ने एक प्रेस बयान जारी कर के कहि है ।श्री सिंह ने बयान में कहा है कि बीएनएमयू में छात्र संघ चुनाव जातीय चंगुल में फंसा दिख रहा है ।
वैसे श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने अपना समर्थन किसी के आग्रह, या प्रभाव में नहीं बल्कि छात्र हित में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को दिया है ।सहरसा के किसी भी महाविद्यालय का शैक्षणिक माहौल और आंतरिक पर्यावरण सही नहीं है । छात्र और छात्राओं की नगण्य उपस्थिति इस बात के जिंदा इस्तेहार हैं कि यहां के महाविद्यालय से सिर्फ डिग्री हासिल की जाती है । यहां वाजिब शिक्षा का अभाव है ।
श्री सिंह ने अपने बयान में आगे कहा है कि कुछ लोग वेवजह का इस चुनाव में बरसाती मेढक और बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तर्ज पर जातीय उन्माद फैला रहे हैं ।हद बात तो यह है कि जो उम्मीदवार खड़े हुए हैं,उसमें से अधिकांश को उस कॉलेज का भूगोल तक मालूम नहीं है । कॉलेज के शिक्षण और अन्य कर्मियों से उनकी पहचान तक नहीं है ।कमोबेस वहां के नामांकित छात्र–छात्राओं का भी यही हाल है ।इस चुनाव में ना तो किसी दल के नेता को हस्तक्षेप करना चाहिए और ना ही इसे जातीय रंग देना चाहिए ।भविष्य के सांचे का निर्माण विराट हृदय और सभी को साथ लेकर चलने की पुवाग्रह से मुक्त मंसा से संभव है ।आने वाले दिनों में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना और उसका अन्तः संगठन भाईचारा कमिटि समाज में जातीय भेद–भाव मिटाने के लिए बड़ा सामाजिक अभियान चलाएगी ।