नहीं रही सौम्या !!!

* बीती देर रात दुनिया को कहा अलविदा
* समाज और रिश्ते के काले चेहरे का ज़िंदा इश्तहार है सौम्या की मौत
* पति सहित ससुराल वालों ने सौम्या को ज़िंदा जलाकर मार डाला
****पूजा परासर की खास रिपोर्ट*****सहरसा :
हमने कल ही अपने आलेख में यह जिक्र कर दिया था की सौम्या महज चन्द घण्टों की मेहमान है ।आखिरकार रिश्तों को धिक्कारती सौम्या बीती देर रात मौत को गले लगा लिया ।आज अहले सुबह उसके शव का पोस्टमार्टम कराया गया और फिर शव को उसके मायके वालों को सौंप दिया गया ।सौम्या का मायका सदर थाना के गांधी पथ में है जबकि उसकी ससुराल भी करीब ही सदर थाना के सराही मोहल्ले में है ।
सौम्या अब ना तो इस दुनिया में रही और ना ही अब इस दुनिया में फिर से लौटकर आएगी लेकिन उसने अपने पीछे कई सवाल छोड़े हैं ।क्या पैसा रिश्ते से बड़ा है ?क्या दुनियावी चकाचौंध और दिखावे के लिए एक अबला के जीवन की कोई कीमत नहीं ? पति या कोई रिश्तेदार आखिर इतना क्रूर और पापी क्योंकर बन जाता है ?सामाजिक सहकार और संस्कार कहाँ खो गए हैं ?मरना जीवन की नियति और अंतिम सच है,फिर भी इंसान इतना बड़ा अपराध क्यों करता है ?किसी को मारने के बाद,आखिर हत्यारा अपनी जिंदगी किस अर्थ में जियेगा ?पुलिस और कानून ऐसे अपराधों को क्यों नहीं रोक पाते हैं ?
सौम्या की हत्या एक बानगी है ।नारी जात के साथ बहुत ऐसी जघन्य घटनाएं घटती हैं,जो खबरों के लिहाज से सुर्खियां नहीं बटोर पातीं ।हम दावे के साथ कहते हैं की इस तरह की घटनाएं आम आदमी 25 से 30 प्रतिशत भी नहीं जान पाते हैं ।आखिर में हम इतना जरूर कहेंगे की सौम्या को असमय मौत मयस्सर करने वालों को जीने का कोई हक नहीं है ।तमाम आरोपियों को सजा ए मौत होनी चाहिये ।उन्हें जीने का का कोई अधिकार नहीं है ।ईश्वर सौम्या को चिर शान्ति दें ।