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उपचुनाव नतीजे पर संदीप कुमार की त्वरित टिप्पणी   

सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट —— बिहार में हुए उपचुनाव के बाद इसके नतीजे ने जहाँ एन डी ए खेमे में खलबली मचा दिया है वहीं महागठबंधन को जीत से नई ऊर्जा मिली है। चुनाव नतीजे  सूबे में आगामी चुनाव को प्रभावित कर सकते है। साथ ही सूबे में नई राजनीति समीकरण बनने की संभावना को भी बल मिलेगा।

इसी संदर्भ में बहुत से नेता पाल बदल कर इधर से उधर जा सकते है। जहां तक हार-जीत के मूल कारणों की बात है।इसमें कोई शक नहीं कि केंद्र की मोदी सरकार को निशाना बनाते हुए राजद ने आरक्षण के मुद्दे को खूब भुनाया। हालिया नीरव मोदी प्रकरण ने भी राजद के पक्ष में हवा बनाई। दूसरी तरफ बिहार सरकार की शराबबंदी, बालू बंदी से राजद ने पिछड़े व अतिपिछड़े  की नब्ज को टटोला । जिसमे वह काफी हद तक सफल भी रही। चुनाव प्रचार के दरम्यान तेजस्वी यादव ने अपने पिता के जेल जाने पर लोगों की बखूबी सहानुभति बटोरी ।

यहाँ तेजस्वी यादव की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अपनी पहली परीक्षा उप चुनाव में पास कर लिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने राजद ही नहीं बल्कि बिहार के महागठबंधन का नेतृत्व अच्छे से किया। राजद के अंदर अब टीम लीडर के तौर पर उन पर मुहर लग सकती है। वहीं लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी के लिए अब आवाज और भी बुलंद होगी।

वहीं माई समीकरण की बात करें तो वह अब भी बिहार में अटूट लगता है या फिर यह कहे कि समीकरण लालू यादव के जेल जाने से और मजबूत हुआ है।

राजनीतिक पंडितों की माने तो तेजस्वी यादव कुछ हद तक इस उप चनाव में भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल रहे। हालाकिं यह भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है। फिर भी इसे ठीक करने के लिए उसके पास पर्याप्त समय है। क्योंकि  लोकसभा चनाव में अभी एक वर्ष का समय बाकी है। फिलहाल यह समय जदयू, भाजपा के लिए आत्म मंथन और चिंतन करने का है।

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